जिन्दगी पर शायरी
वो हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,
धोखा मैंने उस शख्स से यूँ न खाया होता,
रहता अगर याद कर मुझे लौट के आती नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैंने तुझे यूं न गंवाया होता।
ज़िन्दगी हर हाल में एक मुकाम माँगती है,
किसी का नाम तो किसी से ईमान माँगती है,
बड़ी हिफाजत से रखना पड़ता है दोस्त इसे,
रूठ जाए तो मौत का सामान माँगती हैं।
दुनिया में सैकड़ों दर्दमंद मिलते हैं,
पर काम के लोग चंद मिलते हैं,
जब मुसीबत का वक़्त आता है,
सब के दरवाजे बंद मिलते हैं।
जीत भी मेरी और हार भी मेरी,
तलवार भी मेरी और धार भी मेरी,
ज़िन्दगी ये मेरी कुछ यूं सवार है मुझ पर,
डूबी भी मेरी और पार भी मेरी।
शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है,
हर एक शख्स किसी का गुलाम होता है,
कोई ढूढ़ता है ज़िंदगी भर मंज़िलों को,
कोई पाकर मंज़िलों को भी बेमुकाम होता है।
मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो,
कई अपने मेरे बदल गये अब तो,
करते थे बात आँधियों में साथ देने की
हवा चली और सब मुकर गये अब तो।
कल न हम होंगे न कोई गिला होगा,
सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा,
जो लम्हे हैं चलो हँसकर बिता लें,
जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।
एक साँस सबके हिस्से से हर पल घट जाती है,
कोई जी लेता है जिंदगी किसी की कट जाती है।
शुक्रिया ज़िन्दगी…जीने का हुनर सिखा दिया,
कैसे बदलते हैं लोग चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
जिंदगी में ये हुनर भी आजमाना चाहिए,
अपनों से हो जंग तो हार जाना चाहिए।
