VS News India | Reporter – Sanju | Safidon : – दिल्ली सहित उत्तर भारत के इलाकों में धान की पराली जलाने को बढ़े वायु प्रदूषण का कारण मानते हुए किसानों को आरोपित किया गया और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया लेकिन इस दिशा में खुद कृषि विभाग के अधिकारी कितने मुस्तैद हैं यह इसी से पता चलता है कि केंद्र ने किसानों को एक विशेष योजना के तहत कृषि उपकरण अनुदान पर उपलब्ध कराने को किसानों के चुनिंदा समितियों को चयनित किया जिन्हें लिखित में कहा गया कि वे अधिकृत निर्माताओं से ऐसे उपकरणों की खरीद करके बिल प्राप्त कर लें। ऐसे उपकरणों पर 80 प्रतिशत अनुदान दिए जाने का प्रावधान है। ऐेसे उपकरण किसानों समितियों द्वारा जरूरतमंद किसानों को रियायती किराए पर दिए जाने हैं और इनमें प्रमुख रूप से भूमि की जुताई का रोटा वेटर, जीरो टिलेज,पैडी स्ट्रा चॉपर,रिवर्सिबल प्लो व हैप्पी सीडर शामिल हैं। सफीदों उपमंडल क्षेत्र में ऐसी पांच किसान समितियों के कस्टमर हायर सेंटर विभाग ने बनाए हैं। जिनके सदस्य किसानों ने 6 से 10 लाख रुपए तक की कीमत के उपकरण बीते सितंबर व इसके आसपास खरीद लिए थे। अब किसान इन उपकरणों पर सब्सीडी लेने को विभागीय कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। अनेक किसानों ने तो उपकरणों, जिनमें धान की पराली को निपटाने के उपकरण भी शामिल हैं, अभी प्रयोग ही नहीं किए हैं और क्योंकि धान की कटाई का सीजन तो बीत ही चुका है और गेहूं की बिजाई का सीजन भी अन्तिम दौर में है, अब ये उपकरण अगले वर्ष ही काम आ सकेंगे। किसानों का कहना है कि उन्होंने धान के सीजन में पराली के निपटान को ये उपकरण खरीदे थे जो करीब अढ़ाई माह से रखे हैं और इन्हें वे प्रयोग इस डर से नहीं कर पाए कि संबंधित अधिकारी कोई एतराज ना कर दें। मलिकपुर में प्रीतपाल कौर किसान समिति के सदस्य किसानों का कहना है कि पड़ोसी जिला करनाल में यह सबसीडी जारी भी कर दी गई है लेकिन जींद में यह मामला अभी ठंडे बस्ते में ही है। इस पर टिप्पणी को संबंधित सरकारी संस्था हरेडा के कनिष्ठ अभियंता प्रदीप कुमार ने बताया कि अक्तूबर माह में विभागीय कर्मचारी व अधिकारी विधानसभा चुनाव में व्यस्त रहे और अब पराली जलाने के मामलों पर नियंत्रण के काम में लगे हैं और उपायुक्त जो जिला स्तरीय कार्यकारी समिति के अध्यक्ष हैं, ने 15 नवंबर तक ऐसे सीएचसी द्वारा खरीद किए गए उपकरणों की फिजिकल वेरिफिकेशन के काम पर रोक लगाई हुई है। उन्होंने बताया कि इसके बाद उपकरणों की फिजिकल वेरीफिकेशन होगी और फिर अनुदान जारी की जाएगी। प्रदीप कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष खजाना के माध्यम से अनुदान जारी की गई थी।
