VS News India | Sanjay Kumar | Safidon :- उपमंडल के गांव सरनाखेड़ी स्थित भक्ति योग आश्रम में शुक्रवार को अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में देव पूजन व हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। पूजन व हवन में आयुर्वेदाचार्य डा. शंकरानंद सरस्वती का सानिध्य प्राप्त हुआ। हवन व पूजन में भगवान से पूरे विश्व को कोरोना महामारी से अतिशीघ्र मुक्ति की कामना की। इस मौके पर साध्वी मोक्षिता भी विशेष रूप से उपस्थित थी। अपने संबोधन में डा. शंकरानंद सरस्वती ने कहा कि भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। भगवान परशुराम एकमात्र ऐसे अवतार हैं, जो आज भी पृथ्वी पर जीवित हैं।

उन्होंने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है, इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किन्तु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। मान्यता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखण्ड, वाहन आदि की खरीददारी से सम्ंबंधित कार्य किए जा सकते हैं। नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उदघाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है। पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिंडदान अथवा किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है।

इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यहाँ तक कि इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है। आज के दिन मनुष्य अपने या स्वजनों द्वारा किए गए जाने-अनजाने अपराधों की सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करे तो भगवान उसके अपराधों को क्षमा कर देते हैं और उसे सदगुण प्रदान करते हैं। आज के दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिए अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान माँगने की परम्परा भी है।
फोटो कैप्शन 1.: आश्रम में देव पूजन व हवन करते हुए आयुर्वेदाचार्य डा. शंकरानंद सरस्वती व अन्य।
