VS News India | Vinay Balmiki | Shrawasti :- एक ओर तरफ सरकार सर्व शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को साक्षर बनाने का दावा कर रही है। वहीं दूसरी ओर विद्यालय में शिक्षा देने वाले शिक्षकों की कमी को सरकार नही पूरी कर पा रही है। ऐसा ही हाल है देवरा में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय का जहां करीब 1 साल हो गए शिक्षक नहीं है, फिर भी 63 बच्चे प्रतिदिन शिक्षा ग्रहण करने विद्यालय पहुचते हैं। जिन्हें प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों के द्वारा प्राथमिक एंव उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है। जनपद श्रावस्ती के विकास खंड जमुनहा के ग्राम पंचायत देवरा में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय बीते करीब 1 साल से उपेक्षा का शिकार है। विद्यालय में शिक्षक है ही नहीं। विद्यालय के प्रांगण में ही मौजूद प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को भी किसी तरह पढ़ाते हैं और उन्हें रोक कर रखते हैं उच्च प्राथमिक विद्यालय में कुल 63 छात्र पंजीकृत हैं जिनकी शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रही है क्योंकि बच्चे विद्यालय तो प्रतिदिन आते हैं लेकिन विद्यालय में शिक्षक ना होने के चलते उनकी शिक्षा पर बट्टा लग रहा है।वही प्राथमिक विद्यालय में भी एक प्रधान शिक्षक तथा एक सहायक शिक्षक सहित एक महिला शिक्षा मित्र की तैनाती है जिससे आप खुद अंदाजा लगा सकते है की प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को भी किस स्तर की शिक्षा मिलती होगी वही जब एक ही विद्यालय के शिक्षक किस तरह दो दो विद्यालय में बच्चो को पढ़ाते हो फिर तो शिक्षा का स्तर खुद ब खुद नीचे पहुँच जायेगा। इतना ही नहीं उपेक्षा के चलते विद्यालय की फर्श भी टूटी हुई है हर विद्यालय में टाइल्स सहित अन्य जरूरी संसाधनों को मुहैय्या कराने के लिये ग्राम प्रधानों को भी निर्देशित किया गया था लेकिन ग्राम प्रधान की मनमानी के चलते इस विद्यालय में टाइल्स भी नही लगाई गई साथ ही विद्यालय में बच्चों के बैठने के लिए डेस्क और स्टूल भी नहीं है।रसोइय्या जिन कमरो में एमडीएम बनाती है वो कमरा काफी जर्जर हो चुका है बरसात में छत से पानी टपकता है साथ ही दिवाल से घटिया सीमेन्ट टूट कर गिर रहा है जिसके चलते कभी भी हादसा होने की भी सम्भावना बनी हुई है।प्राथमिक विद्यालय के प्रधान शिक्षक मोहम्मद शरीफ खान ने मिडिया को बताया की बीते 1 साल से यह अकेले ही किस तरह से उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चों सहित अपने विद्यालय के बच्चों को पढ़ाते हैं और रोक कर रखते हैं यही जानते हैं दोनों विद्यालय के बच्चों को संभालने में काफी समस्या होती है फिर भी बच्चों के भविष्य को लेकर प्रयास में लगे रहते है।वहीं स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि करीब 1 साल से विद्यालय में शिक्षकों के ना होने से बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है।लेकिन मजबूरन उन्हें बच्चो को इसी विद्यालय में भेजना पड़ता है।

